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पंचतंत्र की कहानी: बंदर और लकड़ी का खूंटा – bandar aur lakdi ka khunta
एक बार..गुरू ने अपने शिष्य को समझाते हुए, आम के पेंड की कहानी सुनाई – एक आम का वृक्ष था। जिसमे ढेर सारे आम पके हुए थे, एक दिन उस पेंड का मालिक आया और पेंड पर चढ़कर सारे आम तोड़ने लगा।
रास्ते में उन्हें एक नाला पार करना था। एक दिन गधा अचानक धारा में गिर गया और नमक की थैली भी पानी में गिर गई। नमक पानी में घुल गया और इसलिए बैग ले जाने के लिए बहुत हल्का हो गया। गधा खुश था।
पंचतंत्र की कहानी: संगठन की शक्ति – sangathan ki shakti
यहाँ हर कोई अपना उल्लू सीधा करने में लगा है – ज्ञानवर्धक प्रेरणादायक प्रेरक प्रसंग
पंचतंत्र की कहानी: चार दोस्त और शिकारी
मैं उन सभी को एक साथ क्यों नहीं ले सकता और बहुत पैसा कमा सकता हूं? ”
'नहीं भाई, मैं भेंट में नहीं लूँगा', शास्त्रीजी स्पष्ट बोले।
पंचतंत्र की कहानी: लकड़हारा और शेर – lakadhara aur sher
पंचतंत्र की कहानी: स्वजाति प्रेम – swajati prem
गाँधी जी ने उनको बताया की अगर यह आम आदमी आपकी बराबरी का होता तो क्या आप तब भी इन्हें थप्पड़ मार देते.
फिर दूसरे दिन जब उस आम ने देखा के उसके साथ के सारे आम तो जा चुके हैं केवल उसी का मोह उसे पेंड से अलग होने नहीं दे रहा है। उसे अपने मित्र आमों की याद सताने लगी।
मार-खाने के डर से गाँधी जी ने अपने माता-पिता से झूठ बोला कि कड़ा कही गिर गया है. किन्तु झूठ बोलने के कारण गाँधी जी का मन स्थिर नहीं हो पा रहा था.
महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था. इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव get more info के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया.